शहीद प्रताप सिंह बारठ की जयंती समारोह आयोजित
बारहठ परिवार जैसे बलिदान का विश्व इतिहास में नहीं दूसरा उदाहरण-ओंकारसिंह लखावत

ललित बंसल
चीफ एडिटर
वॉइस ऑफ पब्लिक राजस्थान
कोटा में शहीद प्रताप सिंह बारठ की जयंती पर एक समारोह आयोजित किया गया जिसमें बारठ के बलिदान को याद किया गया
स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहूति देने वाले क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ के सुपुत्र अमर शहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ की जयन्ति का समारोह आज कोटा में कोटा विकास प्राधिकरण ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। धरोहर प्राधिकरण अध्यक्ष ओंंकारसिंह लखावत समारोह के मुख्य अतिथि रहे जबकि मुख्य वक्ता के रुप में कोचिंग गुरु और मोटिवेशनल स्पीकर राजवीर सिंह चलकोई ने प्रतापसिंह बारहठ के क्रांति कर्म पर भाषण देते हुये रासबिहारी बोस और सचीन्द्र सान्याल के साथ वीर प्रताप की क्रांतिकारी गतिविधियां और चांदनी चौक में लॉर्ड हॉर्डिग्ज पर बम फेंकने से लेकर बरेली जेल में यातनाएं सहते हुये दम तोङने तक प्रताप के पूरे जीवन पर प्रकाश डाला।इस दौरान कोटा संभागीय आयुक्त राजेन्द्रसिंह शेखावत,भाजपा विधायक संदीप शर्मा,पूर्व महापौर महेश विजय,डेयरी अध्यक्ष चैन सिंह राठौङ,पूर्व कुलपति प्रो. हाकमदान और और खादीबोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष पंकज मेहता भी मंच पर मौजूद रहे..समारोह के दौरान 3 श्रेणियों में वीर माता माणिक कंवर नारीशक्ति वन्दन सम्मान उमा रत्नू को,प्रतापसिंह बारहठ स्वाभिमान सम्मान सतना,मध्यप्रदेश के शहीद कर्णवीर सिंह को,जोरावरसिंह बारहठ पराक्रम सम्मान ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुये शहीद सुरेन्द्रसिंह मोगा को प्रदान किया गया।
प्रतापसिंह शहीदे आलम- राजवीरसिंह चोलकई
समारोह के दौरान मुख्य वक्ता, इतिहासविद् और मोटिवेशनल गुरु राजवीर सिंह चोलकई ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा घोर प्रताङना दिये जाने के बावजूद बलिदानी प्रताप ने क्रांतिकारियों का भेद नहीं खोला–बरेली जेल में गिरफ्तारी के समय 102 किलो के वीर प्रताप घोर प्रताङना से जेल में मौत के घाट उतारे जाते समय 32 किलो के ही रह गये थे..प्रताप, सचिन्द्र सान्याल की प्रेरणा थे और सान्याल की पुस्तक बन्दी जीवन से भगतसिंह ने क्रांति की प्रेरणा ली थी..इसलिये भगतसिंह शहीदे आजम हैं तो उनके गुरु बलिदानी प्रताप बारहठ शहीदे आलम। धनलोभ और स्त्रीलोभ विजेता प्रताप के लिये रामनारायण चौधरी ने लिखा था कि मैंने मेरे जीवन में प्रताप जैसा युवक नहीं देखा और मैं प्रताप से प्रभावित रहा। राजवीर ने 20 वीं सदी के पहले दशक में भारत के छात्रों को तकनीकी शिक्षा के लिये जापान भेजे जाने की प्रतापसिंह बारहठ के पिता क्रंतिकारी केसरीसिंह बारहठ की तकनीकी शिक्षा योजना का जिक्र करते हुये कहा कि कोटा के तकनीकी विश्वविद्दालय का नामकरण क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ के नाम पर होना चाहिये।उन्होंने कहा कि प्रताप जैसे साहसी क्रांतिकारियों के बलिदानों का स्मरण कराना कोटा की कोचिंग स्टूडेन्ट्स की आत्महत्याओं के प्रकरणों का समाधान भी हो सकता हैं।
बारहठ परिवार जैसे बलिदान का विश्व इतिहास में नहीं दूसरा उदाहरण-ओंकारसिंह लखावत
समारोह के मुख्य अतिथि धरोहर प्राधिकरण अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने बारहठ परिवार के पीढियों से राष्ट्र रक्षा के लिये दिये जा रहे बलिदानों को याद किया और कहा कि विश्व इतिहास में ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं हैं,जब स्वयं केसरीसिंह बारहठ,उनके भाई जोरावरसिंह बारहठ और पुत्र प्रतापसिंह बारहठ के अलावा उनके जामाता ईश्वरदान आशिया समेत पूरे परिवार ने आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व होम दिया हो। लखावत ने दावा किया कि लॉर्ड हार्डिग्ज पर चांदनी चौक में बम फेंकने वाले जोरावरसिंह और प्रतापसिंह बारहठ थे लेकिन इतिहास में तथ्यों को दुरुस्त करने की भी दरकार हैं। इस मौके पर लखावत ने शाहपुरा,भीलवाङा में 4 करोङ की लागत से बारहठ परिवार पैनोरमा निर्माण की बात कही वहीं ऐलान किया कि कोटा के क्रांतिकारियों के क्रांतिकर्म की याद को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये यहां भी 1 करोङ की लागत से स्मारक बनायेंगे।प्रधानमंत्री द्वारा क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ के गांव देवजी का खेङा को धरोहर गांव घोषित किया गया हैं और इसे भी हम धरोहर गांव के रुप में विकसित करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
बलिदानी प्रताप की जयन्ति को मनाया रक्तदान के साथ-
जयन्ति महोत्सव के मौके पर कोटा विकास प्राधिकरण ऑडिटोरिम के समारोहस्थल के बाहर ही एक विशाल रक्तदान शिविर भी लगा और रेजीडेन्ट डॉक्टर्स एसोसिएशन के तात्वाधान में करीब 350 यूनीट रक्त का संग्रहण किया गया।