रामगंजमंडी के चेचट में तहसीलदार 25हजार की रिश्वत लेते ट्रैप
8 महीने पहले भी था संदेह, अब ACB के जाल में फंसा 25 हजार की रिश्वत लेता हुआ तहसीलदार

गोलू राठौर रामगंजमंडी
रामगंज मंडी क्षेत्र के चेचट मे कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए तहसीलदार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. यह रिश्वत भी रजिस्ट्री करवाने की एवज में ली जा रही थी. हालांकि इस मामले में यह सामने आया है कि 8 महीने पहले भी तहसीलदार को कोटा एसीबी ने ट्रैप में संदिग्ध माना था. हालांकि जांच में यह बच निकला था, लेकिन एक बार फिर एसीबी भी ने अपना जाल फैलाया. जिसमें आरोपी तहसीलदार भरत कुमार यादव फंस गया है और ट्रैप हो गया है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कोटा रेंज के उप महानिरीक्षक शिवराज मीणा ने बताया कि कोटा की एसीबी स्पेशल यूनिट टीम ने चेचट के तहसीलदार भरत कुमार यादव को ट्रैप किया है. इस मामले में भरत कुमार यादव के साथ चौकीदार दिनेश भी ट्रैप हुआ है.
रिश्वत की रकम 25 हजार रुपये थी, जो रजिस्ट्री संबंधी मामले में ली जा रही थी. मौके पर ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही मौके पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि यह मामला लैंड कन्वर्ज़न से जुड़ा हुआ था. इस मामले में ही आरोपी तहसीलदार भरत कुमार यादव व दिनेश रिश्वत ले रहा था. इस मामले में मिल गई थी क्लीन चिट : एसीबी की टीम ने 9 सितंबर को चेचट तहसील में ही कार्रवाई को अंजाम दिया था. इसमें ई मित्र संचालक हरीश मंडोत को 5 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. इस मामले में तहसीलदार भरत कुमार यादव की भूमिका की भी संदिग्ध थी. कोटा एसीबी ने यह रिश्वत तहसीलदार के लिए लेना ही बताया था. हालांकि इसकी जांच एडिशनल एसपी झालावाड़ जगराम मीणा ने की थी. उन्होंने इस मामले में एसीबी कोटा से विपरीत क्लीन चिट तहसीलदार को दी थी. केवल हरीश मंडोत को ही आरोपी माना था. बाद में कोटा एसीबी की आपत्ति के बाद हेडक्वार्टर से दिशा निर्देश आए थे, जिसमें तहसीलदार के खिलाफ जांच पेंडिंग की गई थी. यह था पुराना मामला : तहसीलदार भरत कुमार यादव के खिलाफ पुराने मामले की बात की जाएं तो वह भी रजिस्ट्री करने से जुड़ा हुआ था. उस मामले में परिवादी फय्यूम की बहन आबिदा मकान की गिफ्ट डीड उसके नाम करवा रही थी. इस मामले में रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, जिसका पूरा खर्चा भी परिवादी ने दे दिया था, लेकिन तहसीलदार इस पर साइन नहीं कर रहे थे. यह पूरा साइन करवाकर देने की गारंटी ई मित्र संचालक हरीश मंडोत ने दी. यह पैसे तहसीलदार के नाम पर मांगे थे. हालांकि इस मामले में केवल ईमित्र संचालक हरीश मंडोत बहुत ही आरोपी बना था.